शिमला समझौता क्या है ?
भारत-पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई, 1972 को शिमला में एक संधि हुई थी जिसे शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के 93000 से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को बंगलादेश के रूप में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई थी।
शिमला समझौता की महत्वपूर्ण बातें :
- शिमला समझौता के लिए भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो शामिल थे
- दोनों ही देश इस रेखा को बदलने या उसका उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करेंगे।
- दोनों देशों के बीच जब भी बातचीत होगी, कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं होगा।
- आवागमन की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी ताकि दोनों देशों के लोग आसानी से आ जा सकें।
- शिमला समझौते के बाद भारत ने 93 हजार पाकिस्तानी युद्धबंदियो को रिहा कर दिया।
- 1971 के युद्ध में भारत द्वारा कब्जा की गई पाकिस्तान की जमीन भी वापस कर दी गई।
- दोनों देशों ने तय किया कि 17 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद दोनों देशों की सेनाएं जिस स्थिति में थी उस रेखा को वास्तविक नियंत्रण रेखा माना जाएगा।
- समझौते यह प्रावधान किया गया कि दोनों देश अपने संघर्ष और विवाद समाप्त करने का प्रयास करेंगे और यह वचन दिया गया कि उप-महाद्वीप में स्थाई मित्रता के लिए कार्य किया जाएगा।
- इंदिरा गांधी और भुट्टो ने यह तय किया कि दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे और किसी भी स्थिति में एकतरफा कार्यवाही करके कोई परिवर्तन नहीं करेंगे।
- दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ न तो बल प्रयोग करेंगे, न प्रादेशिक अखण्डता की अवेहलना करेंगे और न ही एक दूसरे की राजनीतिक स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप करेंगे।
- दोनों ही सरकारें एक दूसरे देश के खिलाफ प्रचार को रोकेंगी और समाचारों को प्रोत्साहन देंगी जिनसे संबंधों में मित्रता का विकास हो।
भारत ने इंसानियत दिखाकर पाकिस्तान को जीती हुई जमीन लौटा दी और समझौता भी कर लिया, मगर पाक अपनी नापाक हरकतों से बाज़ नही आया. उसने शिमला समझौते पर बस उस समय तक ही अमल किया जब तक उसके युद्धबंदी लौट नहीं गए और कब्जा की गई जमीन वापस नहीं मिल गई. ये दोनों मकसद पूरे होने के बाद पाकिस्तान पहले की तरह ही नापाक हरकत पर उतर आया और अब तक उसकी वही हरकत जारी है यानी भारत में आतंकवाद को प्रोत्साहन देना.
युद्ध में कई बार मुंह की खाने के बाद भी बेशर्म पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आता है और कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत की सुख शांति बर्बाद करता रहता है.